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Saturday, June 18, 2011

निर्मल चन्द 'निर्मल'


कैसे कह दें अपना देश महान 

तुम्ही बताओ कैसे कह दें अपना देश महान 
अनुशासन की कर दी छुट्टी राजनीति मतवाली 
मुख पर आदर्शों की झांकी मन मदिरा की प्याली 
सादे-कर्मठ जीवन पर है गिद्धों की रखवाली 
चुन -चुन किनको खा जायेंगे इनकी भूख निराली 
गांधी जी व  इंदिरा जी का कर बैठे जलपान 
तुम्ही बताओ---------
दूर कहाँ नज़रें ले जाएँ इनको  अपनी चिंता
जय-जय कार करा लेते हैं शोहरत के अभियंता 
कानूनों से ऊपर समझो कानूनों के हन्ता 
स्वागत करने को किराए की भूखी-प्यासी जनता 
तिकड़म का विधान रचते हैं करवाने गुणगान 
तुम्ही बताओ........... 
 बलशाली नेतृत्व खौफ़ से डरती है आबादी 
जिसकी लाठी भैंस उसी की कैसी ये आज़ादी 
लूटो, मारो,मौज उड़ाओ, कहते अवसरवादी 
क्या चरित्र माँ के बेटों का देख रही बर्बादी 
खुला हाट रिश्वत खोरी का , बिकता है ईमान 
तुम्ही बताओ ........
राजनीति न्यायालय पहुंचे न्यायतंत्र धमकाने 
न्यायपालिका भी शंकित है संशय हैं मनमाने 
आतंकित कर रहीं हवाएं, दहशतगर्द ज़माने 
तेरी-मेरी गिनती क्या है अल्लाताला जाने 
क्या भविष्य है लोकतंत्र का, क्या इसका सम्मान 
तुम्ही बताओ..........
देशी उद्योगों से इनका कितना रहा लगाव 
जगह- जगह स्थापित दीखते परदेसी फैलाव 
ढाल तर्क से कर लेते हैं अपना सतत बचाव 
करनी इनकी भोग रहे हम, घर-घर में टकराव 
साम, दाम व  दंड शिरोमणि, है इनकी पहचान 
तुम्ही बताओ..........  
                        परिधि-6 )
 
 

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