हिन्दी-उर्दू मजलिस का मुखपत्र

जून माह के अंत तक प्राप्त चयनित रचनाएं पत्रिका 'परिधि' में प्रकाशित की जाती हैं. लेखक को एक लेखकीय प्रति नि:शुल्क प्रेषित की जाती है.
मंगल फॉण्ट में टाइप रचनाएं (चयनित) ब्लॉग पर भी प्रकाशित होंगी. ब्लॉग पर प्रकाशनार्थ रचना कभी भी भेजी जा सकती है
paridhi.majlis@gmail.com

Thursday, April 15, 2010

About Me

हिन्दी-उर्दू मजलिस
   भारत की ह्रदयस्थली मध्यप्रदेश के बुन्देलखंड के क्षेत्र में स्थित सागर नगर अपनी साहित्यिक गतिविधियों के कारण पहचाना जाता रहा है | जुलाई १९९५  में  गठित हिंदी- उर्दू मजलिससागर के साहित्यिक क्षेत्र में सुपरिचित संस्था है |विगत वर्षों की उपलब्धियाँ नगर में संस्था की सशक्त पहचान बन चुकी हैं | संस्था की पाक्षिक गोष्ठियों में  अपनी रचनाएँ प्रबुद्ध जनों के बीच सुनाकर जहाँ साहित्यकार आनंद का अनुभव करते हैं,वहीं श्रोता भी पूर्ण तृप्त होकर जाते हैं |
     संस्था के निम्न लिखित उद्देश्य हैं:-
     १.हिंदी उर्दू साहित्य का विकास | 
     २.हिन्दी उर्दू की नयी प्रतिभाओं की खोज़ एवं उनकी प्रतिभा को विकास के अवसर प्रदान करना |
     ३.हिन्दी उर्दू भाषा के विकास के लिए गोष्ठियाँ आयोजित करना |
     ४.कवि - सम्मलेन ,मुशायरा ,विचार गोष्ठियाँ , आयोजित करना |
     जनवरी २००३ से संस्था ने परिधिपत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया| पहले अंक के लिए पाठकों का जो स्नेह मिला उससे हमारा उत्साह वर्धन हुआ |पत्रिका के माध्यम से हमारा प्रयास जहाँ सामयिक विसंगतियों ,कुरीतियों तथा बुराइयों पर आघात करना है , वहीं समाज में सद्भाव एवं सद् वृत्तियाँ विकसित करने का भी है | हम जानते हैं की ये प्रयास बहुत छोटे हैं , इनका प्रभाव नगण्य ही माना  जायेगा |पर क्या सूर्य के अभाव में दीपक के प्रकाश को नाकारा जा सकता है ? मूल्यों के क्षरण के इस युग में सदगुण की झलक भी प्रसन्नता देने वाली नहीं है ?
     पाठकों के अभाव  का प्रश्न उठा कर लोग पत्रिका प्रकाशन का प्रयास भी नहीं करते | प्रयास करने पर सफलता की सम्भावना होती है ,जबकि प्रयास न करने पर असफलता निश्चित है |
साहित्य की सारी विधायें परिधि पत्रिकाकी  परिधि में आती हैं | गीत, गज़ल , कहानी , लेख , व्यंग्य सभी कुछ इसमें समाहित है |
वर्ष २००५ से संस्था द्वारा परिधि-सम्मानप्रारम्भ हुआ | यह सम्मान प्रति वर्ष संस्था के वार्षिक कार्यक्रम में दो साहित्यकारों को प्रदान किया जाता है |
संस्था के संरक्षक
       १.श्रीमान सेठ  मोतीलाल जैन
       २.श्रीमती (डॉ०)मीना पिम्प्लापुरे
       ३.श्रीमंत सेठ नरेश चन्द्र जैन
       ४.डॉ० एन. पी. शर्मा
शुक्रवार16 अप्रैल 2010