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Wednesday, June 22, 2011

नेमिचंद्र जैन 'विनम्र'


आत्म निरीक्षण 
हे  सम्मान चाहने वालो,पहले तुम खुद झुकना सीखो 
'भाषण-काव्य' सुनाने वालो, कृपया पहले सुनना सीखो 
औरो पर जो तुम हँसते हो, अपने पर भी हँसना सीखो  
करते हो जो व्यंग्य अन्य पर, अपनी त्रुटियाँ गिनना सीखो 
राह बताते जो लोगों को, उनको पहले खुद चलना है 
देते जो उपदेश हमेशा, नहीं पालना , खुद छलना है 
आंसू जो टपकें सच्चे हों, नहीं दिखावट उनमें होवे 
नाम मित्रता हो न कलंकित, नहीं गिरावट उसमें होवे 
मुस्कानें भी आत्मीय हों, संवेदन भी सत्य लिए हों 
सारे ही आचरण हमारे, जनहित का ही तथ्य लिए हों 
(नेमिचंद्र जैन 'विनम्र' परिधि-6)
 

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