सागर- नगर कि साहित्यिक एवं सास्कृतिक संस्था ‘हिंदी-उर्दू मजलिस’ की २९१ वीं रचना पाठ गोष्ठी संस्था के बड़ा बाज़ार सागर स्थित कार्यालय में संपन्न हुई. इस गोष्ठी की अध्यक्षता विदिशा से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगदीश श्रीवास्तव जी ने तथा सञ्चालन श्री रिषभ समैया जी जलज ने किया.
गोष्ठी की सुखद शुरूआत करते हुए श्री सत्य नारायण तिवारी ने रचना पाठ करते हुए कहा-
अप्रेल का प्रथम दिवस है मुस्कुराइए . फूलों के साथ फूल बन हंसी लुटाइए .
डा.अनिल जैन ‘अनिल’ ने मधुर स्वरों में गज़ल पढते हुए कहा –
आँखें नम कर जाये जाने कौन खबर. पढने से अखबार मुझे डर लगता है.
कितना काम किया है फिर भी शेष रहा.तेज समय की धार मुझे डर लगता है.
श्रीमती निरंजना जैन ने अपनी व्यंग्य कविता ‘घूंस एवं घूँसा’ का वाचन करते हुए कहा –
घूंस और घूंसे में / सिर्फ एक डंडे का ही अंतर होता है/ जो घूंस खाने वाला/ अनजाने में ही/ घूंसे खाने वाले के/ हाथ में थमा देता है.
वृन्दावन राय ‘सरल’ ने अपने दोहे में फागुन उतारते हुए कहा-
होंठों पर टेसू खिले, महुआ महके नैन/ धारा देह कामायनी, है फागुन की देन //
शशी मिश्रा ‘पूजा’ ने अपने गज़ल के शेर में कहा-
तेरी यादों में आँखें सजल हो गईं .चंद आहें उभर कर गज़ल हो गईं
हमने चाहा कि पत्थर के हो जाएँ हम.भावनाएं मगर क्यों तरल हो गईं
सञ्चालन कर रहे रिषभ समैया ‘जलज’ ने रचना पढते हुए कहा-
जो-जो किये गुनाह उनका डर लिए हुए.थर्रा रहे हैं हाथ भी खंज़र लिए हुए.
वरिष्ठ कवि श्री निर्मल चंद ‘निर्मल’ ने कविता पढ़ी-
शब्दों का अपव्यय बहुत हो चुका/सोचता हूँ कम बोलूँ/और एक दिन चुप हो जाऊं/वो चुप्पी/ सुनी जा सके वर्षों-वर्षों तक.
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे श्री जगदीश श्रीवास्तव जी ने मिनीगीत, पढ़ने के बाद गज़ल के शेर पढते हुए कहा-
ये सुबह किसे देंगे, ये शाम किसे देंगे.हम अपनी तबाही का इलज़ाम किसे देंगे
अश्कों ने मिटाए हैं,यादों के हंसी लम्हे, जो दिल पे लिखा तुमने वो नाम किसे देंगे.
साहित्यकारों का उत्साहवर्धन करने हेतु सुधि श्रोताओं में श्रीमान सेठ मोतीलाल जी जैन’’दाऊ’, सुभाष दिवाकर एडव्होकेट , विनोद अनुरागी उपस्थित थे. आभार संस्था की सचिव श्रीमती निरंजना जैन ने व्यक्त किया.
गोष्ठी के अंत में वरिष्ठ साहित्यकार, समालोचक ,प्रगति लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव स्व. श्री कमला प्रसाद एवं ‘हिंदी-उर्दू मजलिस’ के संयुक्त सचिव श्री राजेश केशरवानी की पूज्य माता स्व.श्रीमती सुमत रानी को दो मिनिट मौन रह कर श्रद्धांजलि दी गई.
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